Biography of savitribai phule in hindi
सावित्रीबाई फुले
कृपया भ्रमित न हों और इसे सावित्री बाई फुले से भिन्न समझें।
सावित्री बाई फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) उनका संग्रह याद रहेगा।[1]
भारत की प्रथम महिला शिक्षक अध्यापक सावित्री बाई फुले थी
श्री मति सावित्रीबाई फुले की जीवनी
[संपादित करें]सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ था।[2] सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और पिछड़े वर्गों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और महिलाओ को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
सामाजिक मुश्किलें
वे स्कूल जाती थीं, तो उनका विरोध होता था।
सावित्रीबाई पूरे देश की नायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया।
शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले ने बहुत बड़ा योगदान है।
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5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्हों ने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया।[3]
निधन
[संपादित करें]10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीजों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।[4]
सावित्रीबाई फुले पर प्रकाशित साहित्य
[संपादित करें]- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका : शैलजा मोलक)[5]
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : ना.ग.
पवार)
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : नागेश सुरवसे)
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (विद्याविकास) (लेखक : ज्ञानेश्वर धानोरकर)
- त्या होत्या म्हणून (लेखिका : डॉ. विजया वाड)
- 'व्हय मी सावित्रीबाई फुले' हे नाटक (एकपात्री प्रयोगकर्ती आद्य अभिनेत्री : सुषमा देशपांडे) (अन्य सादरकर्त्या - डॉ.
वैशाली झगडे)
- साध्वी सावित्रीबाई फुले (लेखिका : फुलवंता झोडगे)
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : अभय सदावर्ते)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : निशा डंके)
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : डी.बी. पाटील )
- सावित्रीबाई फुले - श्रध्दा (लेखक : मोहम्मद शाकीर)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : प्रतिमा इंगोले )
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : जी.ए.
उगले)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : मंगला गोखले)
- सावित्रीबाई फुले : अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व (लेखक : ना.ग. पवार)
- 'हाँ मैं सावित्रीबाई फुले' (हिंदी), (प्रकाशक : अझिम प्रेमजी विद्यापीठ)
- ज्ञान ज्योती माई सावित्री फुले (लेखिका : विजया इंगोले)
- ज्ञानज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका उषा पोळ-खंदारे)
- Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher : Azim Premji University)
- Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed
गूगल डूडल
[संपादित करें]3 जनवरी 2017 को उनके 189 वे जन्मदिवस पर गूगल ने उनका गूगल डूडल प्रसिद्ध कर उन्हें अभिवादन किया है।[6]